2. वेतन में कटौती हो रही है बुरा हो रहा है , ….. इनसेंटिव नहीं मिला , ये भी बुरा हुआ… इनक्रीमेंट / अच्छा नहीं हुआ , बुरा हुआ… . हे पार्थ !! ( कर्मचारी ),
3. बस अपने वेतन में संतुष्ट रहो… . तुम अगले इनसेंटिव की चिंता भी मत करो , तुम पिछले इनसेंटिव ना मिलने का पश्चाताप ना करो ,
4. तुम्हारी जेब से क्या गया , जो रोते हो ? जो आया था सब यहीं से आया था …
5. डिग़्री लेकर आए थे , अनुभव लेकर जाओगे… . जो भी काम किया वो कंपनी के लिए किया , जो अनुभव मिला यहीं मिला… तुम कुछ भी लेकर यहां नहीं आए थे .. तुम जब नहीं होगे , तब भी चलेगी , तुम जब नही थे , तब भी ये कंपनी चल रही थी ,
6. कौन तुम्हें निकाल सकता है… ? क्यो तुम व्यर्थ चिंता करते हो , किससे व्यर्थ डरते हो , यही खुशी तुम्हारी समस्त परेशानियों का मूल कारण है… तुम इसे अपना समझ कर क्यों मगन हो .. क्यों खुश हो… कल किसी और का होगा और परसों किसी और का होगा .. वह कल किसी और का था… . जो कंप्यूटर आज तुम्हारा है ,
7. दूसरे पल में तुम वर्स्ट परफॉर्मर बन जाते हो ओर टारगेट अचीव नहीं कर पाते हो .. एक पल में तुम बैस्ट परफॉर्मर और हीरो नम्बर वन या सुपर स्टार हो , जिसे तुम “नियम - परिवर्तन” कहते हो , वही तो चाल है… सतत “नियम - परिवर्तन” कंपनी का नियम है…
8. ना तुम इसके लिये हो , ना ये इन्क्रीमेंट वगैरह तुम्हारे लिए हैं फिर कंपनी तुम्हारी है और तुम कंपनी के… .. अपने विचार से मिटा दो , ऎप्रेजल , इनसेंटिव ये सब अपने मन से हटा दो ,
9. तुम अपने आप को कंपनी को अर्पित कर दो , फिर तुम परेशान क्यों होते हो…… ..? परंतु तुम्हारा जॉब सुरक्षित है
11. तो तुम भी मुक्त होने का प्रयास करो और खुश रहो… .. वोह इन रिव्यू , इनसेंटिव , ऎप्रेजल , रिटायरमेंट आदि के बंधन से सदा के लिए मुक्त हो जाता है… . जो इस गोल्डन रूल को जानता है .. वो ही सुखी है… .. यही सबसे बड़ा गोल्डन रूल है